इतना कुछ गुज़र गया की एक सदी सा प्रतीत होता हैं
दिल कभी खुश तो कभी दुखी सा हो जाता हैं
जाने किस क्षण में जिंदगी यूं बदल सी जाये
पराये अपने और अपने पराये से बन जाये
हर लम्हे का इंतज़ार फिर भी ये दिल करता हैं
अनजाने पलों में जैसे कुछ जाना पहचाना सा ढूंढता हैं.
इन खोये हुएँ लम्हों को आज मैं खुद में सिमट लुंगी
तुम्हारे अक्स में अपनी तमाम तनहाइयाँ छुपा लुंगी
तो क्या हुआ जो तुम लौट गए किसी और की यादों में
आँसूं बन के ही सही, तुम रहोगे हमेशा मेरी पलकों पे
तुम्हारे एहसास से मेरा रोम-रोम अभी भी सिहर जाता है
अनजाने पलों में जैसे कुछ जाना पहचाना सा ढूंढता हैं.
वक़्त के फेरो में जिंदगी इस तरह अचानक आगे निकल गयी
की लगता है शायद मैं इस दौड़ में कहीं पीछे छूट गयी
जहाँ कभी दिल में एक उम्मीद की लौ जला करती थी
वहाँ अब उसकी सिमटी हुई कुछ धुंधली सी परछाई है
घबरायी हुई साँसों को दिल अब यूँ सहमते हुए पुकारता है
अनजाने पलों में जैसे कुछ जाना पहचाना सा ढूंढता हैं.
दिल कभी खुश तो कभी दुखी सा हो जाता हैं
जाने किस क्षण में जिंदगी यूं बदल सी जाये
पराये अपने और अपने पराये से बन जाये
हर लम्हे का इंतज़ार फिर भी ये दिल करता हैं
अनजाने पलों में जैसे कुछ जाना पहचाना सा ढूंढता हैं.
इन खोये हुएँ लम्हों को आज मैं खुद में सिमट लुंगी
तुम्हारे अक्स में अपनी तमाम तनहाइयाँ छुपा लुंगी
तो क्या हुआ जो तुम लौट गए किसी और की यादों में
आँसूं बन के ही सही, तुम रहोगे हमेशा मेरी पलकों पे
तुम्हारे एहसास से मेरा रोम-रोम अभी भी सिहर जाता है
अनजाने पलों में जैसे कुछ जाना पहचाना सा ढूंढता हैं.
वक़्त के फेरो में जिंदगी इस तरह अचानक आगे निकल गयी
की लगता है शायद मैं इस दौड़ में कहीं पीछे छूट गयी
जहाँ कभी दिल में एक उम्मीद की लौ जला करती थी
वहाँ अब उसकी सिमटी हुई कुछ धुंधली सी परछाई है
घबरायी हुई साँसों को दिल अब यूँ सहमते हुए पुकारता है
अनजाने पलों में जैसे कुछ जाना पहचाना सा ढूंढता हैं.
Good one Mads..
ReplyDeleteWah Hindi mein..Very innovative...Nice one maddy :) Can u tell me who its is for? ;)
ReplyDelete@Prashant ..thanks kumar singh :)
ReplyDelete@Karishma ...thank u babe... this is for all those jo anjaane palon me kuch jana pehchana sa dhoondhte hai :)
sabse pahle bahut bahut dhanyawad, hindi ki is rachna ke liye!!!
ReplyDeleteAchchhi shuruaat hai; Thode me bahut kuch batane ki koshish lagi :-)
@ Santosh... Itni hosla aafzai ke liye aapka bhi dhanyawad Tripathy ji. Ummeed karti hu ki apni rachna se sabka man aise hi behlaya karu :)
ReplyDeleteGood one! Nice to see that Jonathan Seagull is up on the top row of yr shelf too :)
ReplyDelete@Anoop...yeah got introduced to it a decade ago and since then it has been with me as my number one motivator :) Havn't found any parallel to it yet.
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